कविता

नारीत्व

नारी तू सचमुच नारायणी है
माँ बहन या बेटी हो
परिवार को सँवारती, सँभालती है,
सबका रखती ख्याल
सदा मुस्कराती है,
परिवार के लिए देखिये
चूल्हे की आँच सहती
फिर भी निश्चिंत भाव
और बड़े मनोयोग से
रोटियां पकाती है,
नारीत्व की महानता का
सम्मान बढ़ाती है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921