ये मिथ्या के घोल
मन के भीतर छल भरा,ऊपर मीठे बोल ,
इनसे बचना साथियों ,ये मिथ्या के घोल।
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अपने दिल नादान पर,कब चलता है जोर,
अच्छी सूरत देख के,होता भाव विभोर।
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यह जीवन व्यापार है, लेन देन का काम,
घाटा लाभ साथ चलें,सफल कभी नाकाम ..
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जीवन में अब मिल रहा,दुखों का फरमान.
सुख चिट्ठी भी मिलेगी,धीरज रख नादान।
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सच को गोली मार के ,करते झूठ बहाल ,
फिर सबसे कहते फिरें ,हम सच्चाई लाल।
— महेंद्र कुमार वर्मा