ग़ज़ल
जीवन में दुख जब होता है,
सब का साथी रब होता है।
वक्त बुरा हो जाता है तब,
कोई किसी का कब होता है।
शहरों में जो तब होता था,
वही गांव में अब होता है।
जितना जो हल्का होता है,
उतना ही बेढब होता है।
नेकी कर दरिया में डालो,
कहां आज ये सब होता है?
मां की दुवा दवा पर भारी,
इसका असर गजब होता है।
सुरेश मिश्र