कविता

/ जन्मोत्सव /

जाति मत पूछो
धर्म से मत देखो
प्रांतीय भावना मत जोड़ो
मानवता की हैं वह
उस महान मूर्ति को
शत शत नमन करो
देश को पारकर वह
आयीं इस भूमि पर
दीन – दुःखितों को देख
तल्लीन हो गयीं नित्य
वृद्धों को, कुष्ठ रोगियों को
गोद में लेकर सेवा करती रही
अपनी अंतिम साँस तक
आग्नस माता बन गयी संसार की
अपना शरीर यहीं त्यागकर
जो सीख हमें सिखायी
वह इतिहास के पन्नों में
चाँदनी जैसी चमकने लगीं
लौकिक तंत्र का बोध
हर पल हमें याद दिलाने लगीं।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।