/ जन्मोत्सव /
जाति मत पूछो
धर्म से मत देखो
प्रांतीय भावना मत जोड़ो
मानवता की हैं वह
उस महान मूर्ति को
शत शत नमन करो
देश को पारकर वह
आयीं इस भूमि पर
दीन – दुःखितों को देख
तल्लीन हो गयीं नित्य
वृद्धों को, कुष्ठ रोगियों को
गोद में लेकर सेवा करती रही
अपनी अंतिम साँस तक
आग्नस माता बन गयी संसार की
अपना शरीर यहीं त्यागकर
जो सीख हमें सिखायी
वह इतिहास के पन्नों में
चाँदनी जैसी चमकने लगीं
लौकिक तंत्र का बोध
हर पल हमें याद दिलाने लगीं।