खट्ठा-मीठा : फिर तुनक गये सिद्धू पा’जी
भारत की क्रिकेट टीम के उस इंग्लैंड दौरे को याद कीजिए, जिसमें से एक खिलाड़ी केवल इस बात पर तुनककर लौट आया था कि उसे एक मैच के अन्तिम एकादश में शामिल नहीं किया गया था। उसके लौटने से भारतीय टीम पर तो कोई प्रभाव नहीं हुआ, लेकिन उस खिलाड़ी का क्रिकेट करियर वहीं पर समाप्त हो गया था।
यदि आपको उस खिलाड़ी का नाम याद न हो, तो मैं बताये देता हूँ- नवजोत सिंह सिद्धू। ये सज्जन आजकल पंजाब में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने हुए हैं और वर्तमान में तुनके हुए हैं।
उनके तुनकने की आदत बहुत पुरानी है। कुछ समय पहले तक जनाब भाजपा के लाड़ले और अमृतसर से सांसद हुआ करते थे। पंजाब के पिछले विधानसभा चुनावों में वे इसलिए तुनक गये कि भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। इसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी की लुटिया तो डूबी ही, वे खुद भी अपनी अमृतसर सीट से बुरी तरह पटकनी खा गये।
इसके साथ ही पार्टी ने उनको किनारे कर दिया, तो जनाब मोदी जी से सपत्नीक तुनक गये। फिर एक दिन मोदी जी को कोसते हुए वे उसी कांग्रेस नेता के शरणागत हो गये, जिसको उन्होंने “पप्पू” नाम दिया था।
लेकिन कहावत है कि “चोर चोरी से जाय, हेराफेरी से न जाय”, सो जनाब कांग्रेस में पहुँचकर भी चैन से न ख़ुद बैठे, न अपनी पार्टी को बैठने दिया। वहाँ भी अपनी आदत के अनुसार जोड़-तोड़ और बयानबाज़ी करते रहे और पार्टी को डरा-धमकाकर प्रदेश अध्यक्ष पद हथिया लिया।
पर पंजाब के कप्तान ने भी कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं, इसलिए उन्होंने सिद्धू पा’जी को मान्यता देने से साफ़ इनकार कर दिया और एक तरह से उनको काठ का उल्लू बनाकर छोड़ दिया। पा’जी के तुनकने के लिए इतना कारण पर्याप्त था। अतः वे फिर तुनक गये और पार्टी की ईंट से ईंट बजाने की धमकी सरे-आम दे डाली।
पा’जी की धमकी को मज़ाक़ में मत लीजिए। उनके हाथों में अभी भी बहुत ताक़त है। कभी उनके बल्ले के प्रहार से गेंद सीधे बाउंड्री के पार जाकर गिरती थी। एक बार पार्किंग के विवाद में सिद्धू पाजी का ढाई किलो का हाथ एक बुजुर्ग सज्जन की कनपटी पर ऐसा पड़ा था कि वे सज्जन सीधे परलोक प्रस्थान कर गये थे। अब यह मनाइए कि उसी हाथ के प्रहार से कांग्रेस पार्टी पंजाब की बाउंड्री के बाहर जाकर न गिर जाये। वाहे गुरु ख़ैर करें।
— बीजू ब्रजवासी
भाद्रपद कृ. ७, सं. २०७८ वि. (२९ अगस्त, २०२१)