मन से जीत का मार्ग
एक कहावत है ‘हौंसलों से उड़ान होती है,पँखों से नहीं’। यह महज कहावत भर नहीं है।अगर सिर्फ कहावत भर होती तो आज अरुणिमा सिन्हा, सुधा चंद्रन, दशरथ माँझी और हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्व.डा. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ही नहीं बहुत सारे अनगिनत लोग सुर्खियों के बहुत दूर गुमनामी में खेत गये होते।
मैं अपना स्वयं का उदाहरण देकर स्पष्ट कर दूँ कि जब 25.05.2021 को जब मैं पक्षाघात का शिकार हुआ तब चारों ओर सिवाय अँधेरे के कुछ नहीं दिखता था। शायद ही आप सभी विश्वास कर पायें। कि यें अँधेरा नर्सिंग होम पहुँचने तक ही था, लेकिन नर्सिंग होम के अंदर कदम रखते ही मुझे अपनी दशा पर हंसी इस कदर छाई, कि वहां का स्टाफ, मरीज और उनके परिजनों को यह लग रहा था कि पक्षाघात के मेरा मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया है। फिर भी मुझे जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा था। हमारी धर्मपत्नी के गुस्से का तो कहना ही क्या? चिकित्सक महोदय नें भी मेरे इस तरह हँसने का कारण पूछा- तो मैंने यही कहा कि मुझे खुद नहीं पता।
लेकिन मेरा खुद पर भरोसा मजबूत हो रहा था, जिसका परिणाम यह है कि मात्र छः दिन मैं वहां रहा और जब तक मैं वहां रहा, उस वार्ड के संबंधित स्टाफ, वार्ड में भर्ती मरीजों ओर उनके तीमारदारों के लिए चर्चा का केंद्र बना रहा, निराशा तो जैसे पूरे वार्ड से गायब ही हो गई थी। विश्वास करना कठिन है कि घर आने के एक माह में ही मैं अपने सारे काम बिना किसी के सहयोग के करने लगा। उसी दौरान 20-22 वर्षों से कोमा में जा चुका लेखन पुनः जागृति हो गया, जिसकी बदौलत नाम, मान, सम्मान सब कुछ मिल रहा है।
आशय सिर्फ इतना है कि सारी सुख सुविधाओं के बाद नकारात्मक और हारे हुए सशंकित मन से जीत/सफलता नहीं मिल सकती। उम्मीदों की ज्योति जागृति रखिए।मन को सकारात्मकता की ओर लेकर चलते हुए आगे बढ़िए।सफलता आपका इंतजार कर रही है।
किसी भी कार्य की सफलता के लिए मन में आत्मविश्वास जरूरी है, निराशा और शंका आपकी राह का सबसे बड़ा अवरोधक है।
अतः मन में कभी हार की बात सोचिए मत, केवल जीत, जीत और पक्की जीत की दृढ़ता को गाँठ में बाँधकर बुलंद हौंसले से कदम बढ़ाइए, मंजिल आपकी ही राह देख रही है, तब आपकी किस्मत भी आपका साथ देने को तत्पर रहती है।
‘हारना नहीं सिर्फ़ जीतना है’ इस भाव को जागृति करते रहिए, जीत की गारंटी है। तभी ‘मन के हारे हार है,मन के जीते जीत’ की कहावत का चरितार्थ स्वतः महसूस होगा।