शेर दूसरे का आहार नहीं छीनते
भारतीय जीवन
बीमा निगम की
66वीं स्थापना दिवस पर
ऐसे महत्त्वपूर्ण संस्थान को
शुभमंगलकामनाएँ !
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कोई मनुष्य ‘शेर’
कैसे हो सकता है?
शेर उसे कहते हैं,
जो दूसरे का आहार
नहीं छीने,
लेकिन उन्होंने छिना !
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सत्ता के इर्दगिर्द
रहने से ही
समाजसेवा नहीं होती,
हम कार्यकर्त्ता की तरह
बाहर रहकर भी होती है।
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जहाँ हम नहीं होते,
वहाँ हमारे
गुण या अवगुण
हमारे प्रतिनिधित्व
करते हैं !