गीतिका/ग़ज़ल

तेरी सूरत तेरी यादें

मानस तेरी सूरत तेरी यादें लिखता है ।
 तुम कहती हो, वो गजलें लिखता है ।।
वादा करके न आना कितनी होगी बेरहम,
दिल बेसबरा आने की तारीखें लिखता है ।
तुमको यकीं हो न हो तुम बहुत खूबसूरत हो,
खुदा भी खत में तुम्हारी तारिफें लिखता है  ।
निगाहें झुकी झुकी जुबां खामोश है तेरी ,
ये दिल खामोश जुबां की लफ्जें लिखता है ।
याद करो जरा उस सावन की बूदों में भींगना ,
ये जनाब बीते हुए मिलन की लम्हें लिखता है।
— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

सुदर्शन पार्क , मोती नगर , नई दिल्ली-110015 मो. नं.- +91 7982510985