सुखी संसार
किसी का कभी भी
सुखी संसार नहीं होता,
क्योंकि किसी के मन में
ऐसा विचार जो नहीं होता।
संसार उसी का सुखी है
जिसके विचार सुखी हैं,
जो खुद सुखी महसूस करे
उसी का संसार सुखी है।
सुखी संसार एक भावना है
क्योंकि भूखा रहते हुए भी
ईश्वर को धन्यवाद करने की
एक भावना ही तो है,
बावजूद इसके भी
उसका सुखी संसार है।
जो भी है,जैसा भी है
उसका ही संसार है,
क्योंकि सुखी संसार की
परिकल्पना ही तो
उसका सुखी संसार है।