राष्ट्रनिर्माता कौन : शिक्षक या नेता ?
आज कइयों टाइप के शिक्षक हैं, क्यों ‘गुरु’ नहीं अब कोई ! ये पंचायत शिक्षक, प्रखंड शिक्षक, बेसिक ग्रेड शिक्षक, स्नातक ग्रेड शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक, जगन्नाथ मिश्रा के टीचर, लालू के बीपीएससी वाले शिक्षक, नीतीश के टीचर, पारा टीचर, नगर शिक्षक, नगर पंचायत शिक्षक, नगर निगम टीचर, नगर परिषद टीचर, ज़िला परिषद टीचर, 34540 टाइप्ड टीचर, सुप्रीम कोर्ट वाले हाइस्कूल टीचर, +2 टीचर, वन टू फाइव टीचर, सिक्स टू एट टीचर, टीईटी टीचर, दक्षता पास टीचर, 2 दक्षता फेल टीचर, 2006 वाले टीचर, 2008 वाले टीचर, 2012 वाले टीचर, 1993 वाले टीचर, 1999 वाले स्पेशल टीचर, शिक्षा मित्र, अनट्रेंड टीचर, ट्रेंड टीचर, फ़िजिकल टीचर, सामान्य कोटि शिक्षक, दिव्यांग कोटि शिक्षक, उर्दू शिक्षक, संगीत शिक्षक, कम्प्यूटर टीचर, नियोजित टीचर, चार हज़ारी टीचर, प्रभारी प्रधानाध्यापक, फुल फ्लेजड टीचर, ठेका टीचर, कांट्रेक्ट व संविदा वाले शिक्षक….. इत्यादि प्रकार के ‘पूर्व शिक्षा मंत्री के अनुसार’ बोझ शिक्षक प्राणी केवल बिहार जैसे उज्ज्वल प्रांत में हैं, ऐसे किस टाइप के शिक्षकों को ‘शिक्षक दिवस’ की शुभकामनाएं दूँ, जिनके 15 वर्षों में सरकारी सेवा-शर्त्त नहीं बना है और जिनके वेतन ‘मानदेय’ रूप में भी कई माह से उपलब्ध नहीं हैं तथा जिनके भविष्य खुद अंधकारमय है, वो दूसरे को क्या आलोक करेंगे ? वो बड़े सरकार को इधर तकने की फुरसत कहाँ ? वो तो वर्ल्ड बैंक के ‘सर्व शिक्षा अभियान’ की राशि पर नज़र गड़ाए हैं, वहीं प्रायशः विद्यालयों में लगभग 200 छात्रों में मात्र एक शिक्षक है और नियमावली ऐसी कि छात्रों की तरफ बड़े आँखों से निहारना तक नहीं ! वो थाली निहारते एमडीएम से खाली चाटते हुए बच्चे, कि चावल की बोरी गायब, चावल की बोरी बेचे जाना। हेडमास्टर इसी के जोड़-तोड़ और शिक्षाधिकारियों से टांका भिड़ाने में रहते, तो कौन दोषी ? सर्वपल्ली साहब यूनिवर्सिटी में रहे, इसतरह के शिक्षक कहाँ रहे ? फिर इस महापुरुष के जन्मदिवस शिक्षक दिवस कैसा ? अगर हुआ भी मनाना, तो भी, बिहार के ये शिक्षक अपने किस पदनाम से ‘शिक्षक दिवस’ मनाएं ? ऐसे में गुरु-गोविंद सामने खड़े हैं, किसको लागूँ पाँव ? सब बेकार ! अभिभावक इन्हें कहते- फटीचर और नेता जी कहते- राष्ट्रनिर्माता।