लाल दाग
कमली और उसका बड़ा भाई मुन्ना दोनों नट थे । दोनों के पिता एक दुर्घटना में खत्म हो गये । दोनों अपने पिता से ही ये करतब दिखाने की कला सीखे थे। अक्सर नट कहीं भी ये करतब दिखाने शुरू करते हैं और भीड़ इकठ्ठा हो जाती है , फिर जब खेल खत्म होता है तब कुछ लोग पैसे देते हैं शायद यही इनके जीवन यापन का साधन है।
आज कमली अकेली इस करतब को दिखा रही थी क्योंकि मुन्ना पांच दिन से बीमार था । उसका बुखार नहीं उतर रहा था किसी ने सरकारी अस्पताल में खबर करदी कि उनके यहाँ एक मरीज को शायद कोरोना है और अस्पताल से एक गाड़ी आई और मुन्ना को ले गयी । दोनों मां बेटी रोती रही घर में खाने को कुछ नहीं था ।आज लाक डाउन खुला । कमली की मां स्वयं एक पैर से चल नहीं पाती थी । वैसे मुन्ना रस्सी और बोतलों पर चढ़ता था कमली ढपली बजाती थी । आज उसका पूरा शरीर टूट रहा था । सोच रही थी गरीब हो या अमीर हर लड़की हर महिला को ये 28 दिन बाद होने वाले कष्टों को झेलना होता है। पैरों में जान नहीं थी फिर भी पेट के लिये तो कुछ करना था । अपनी मां को लेकर वह भीड़ वाले इलाके में पहुँच गयी और अपने करतब का सामान लगा लिया । सोच रही थी हालांकि लाक डाउन खुला भीख मांगने से अच्छा है कुछ करतब दिखाऊं शायद आज शाम के खाने का इन्तजाम हो जाये । वह बोतलों पर चढ़कर करतब दिखाने लगी । अचानक भीड़ में खड़े युवक खूब ताली बजाकर कर हंसने लगे । उसको भी अपनी सलवार पर कुछ गीला पन लगा । मां ने इशारा किया कि नीचे आजा । वह नीचे उतरी देखा सलवार पर लाल धब्बे आगये थे । वह घबड़ा गयी मां भीड़ के सामने हाथ जोड़कर कहा आज का तमाशा खत्म । कमली तटस्थ खड़ी सामने एक विज्ञापन देख रही थी ” Whisper ” का जहां एक सहेली दूसरी सहेली से कह रही थी मै दौड़ूगी क्योंकि मै ” Whisper ” प्रयोग करती हूँ । वह सोच रही काश मै भी खरीद पाती तो ये लाल दाग छिप जाते और मै आज हंसी का पात्र नहीं बनती ।
— डा.मधु आंधीवाल