गणपति महाराज
।। वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नम् कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
हे गणपति गणनायक सुनो
विघ्न हरण मंगल करण तुम
है करुणानिधि मेरे दीनानाथ
रिद्धि- सिद्धि संग विराजियो
है गणपति मेरे महाराज ।।
प्रथम पूजे सब ही तुम्हें
प्रभु शिव -गोरी के लाल
हाथ जोड़ बंधन करूं में
प्रभु कीजिए मेरा उद्धार।।
कारज़ सभही सवारियों
प्रभु मूषक के महाराज
चरण वंदना कर मात-पिता की
लई परिक्रमा प्रभु ने सात ।।
देवों में हो प्रथम देव तुम
कीजो नाथ तुम कल्याण
विघ्न हरण मंगल करण
है विनायक महाराज ।।
बुद्धि विद्या के तुम स्वामी
एकदंत प्रभु दयानिधि तुम
केसर चंदन तिलक करें हम
हम सब पर अपनी कृपा करो तुम।।
मोदक प्रिय प्रभु गणराज पधारो
कुटिया मेरी निर्मल कर दीजिए
मन में यह संकल्प पधारो
सारे बिगड़े काज संवारो ।।
— प्रतिभा दुबे