कविता

फ़ुरसत ही जब नही मिलती

फ़ुरसत ही जब नही मिलती – दुनियावी मजबूरियों से
तो सोचूं किस तरा से मैं – अपने आप ही के बारे मों
क़ैद हो कर रैह गया हूं मैं – अपनी यादों के क़फ़स में
छुटकारा कैसे पाओूं मैं – अपन दिल की बे चैनियों से
फ़रयाद कर नही सकता – घुट घुट कर जी रहा हूं तनहाई में
आबाद कैसे अब करूं मैं – अपनी ज़िनदगी की वीरानियों को
बहाने रोने के ढ़ूंडती रैहती हैं – यिह बे चैन आँखें हमारी
क़ाबू में किस तरा लाओूं मैं – अपनी तडपती हुई यादों को
ख़वाब बे शक टुटते जा रहे हैं – मेरी ख़शहाल ज़िनदगी के
ज़िनदा फिर भी कियूं ना रखूं मैं – अपने बुलंद हौसलों को
पूछता बेशक नही है अब कोई भी – हाल मेरे बे चैन दिल का
कैसे फिर भी कैह दूं अब मै कि – बे चैन अब मेरा दिल नही है
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ख़वाब सुहाने अब मेरे दिल के – यूं ही सजे रैहने दो — मदन —
गुमान भी हमारे नादान दिल के – अब यूं ही बने रैहने दो
मिल बे शक सकता नही मैं – चाहता है जब भी दिल मेरा
याद फिर भी कियूं ना करूृ मैं – क्या यिह हक़ मेरे दिल का नही है

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570