हिंदी भाषा
हिंदी भाषा अपनाने में, किंचित भी न शरम करना
अंग्रेजी से होय तरक्की, बिल्कुल भी न भ्रम रखना
अंग्रेजी भाषा सीखो पर,निज भाषा का ज्ञान रहे
मान बढा़ना हिंदी मां का,हर संभव यह ध्यान रहे
हिंदी, संस्कृत की पुत्री,सरल स्वभाविक भाषा है
निज भाषा से होय तरक्की, बाकी सभी तमाशा है
हिंदी,हिंदुस्तान की भाषा,अंतःकरण से नमन करना
हिंदी भाषा अपनाने में, किंचित भी न शरम करना।
गोस्वामीजी ने हिंदी में,पावन ग्रंथ बना डाला
रामचरितमानस रचकर के पूरा सार बता डाला
एक एक चौपाई हिंदी में, हिंदी में ही दोहे हैं
हिंदी में ही रामलला ने,बीज ज्ञान के बोये हैं
हिंदी पौराणिक भाषा है, अंतस्थल में मनन करना
हिंदी भाषा अपनाने में, किंचित भी न शरम करना।
हिंदी में रसखान,सूर ने कृष्ण प्रेम को दर्शाया
मीरा और कबीरदास ने,भी हिंदी रस अपनाया
अंग्रेजी शासन से पहले, बस हिन्दी की आंधी थी
बोल रहे शेखर, सुभाष और हिंदी बोले गांधी जी
हिंदी विश्व समूचा बोले, प्रदीप कुछ ऐसा जतन करना
हिंदी भाषा अपनाने में, किंचित भी न शरम करना।