कविता

माँ ना होती

माँ ना होती क्या होता

जीवन की अभिव्यक्ति कहां होती,
दुर्गम राहों पर बचपन बिगड़ जाता
जीवन भर जवानी से बुढ़ापा रोती।
माँ ना होती क्या होता
कहां वो बचपन का प्यार मिलता,
जिद्द करने का अधिकार मिलता
वो सुखमय संसार कहां मिलता।
माँ ना होती क्या होता
हम इंसान कही भटक रहे होते
डूब जाते पापों के सागर में
अपनी अस्तित्व आसानी से खोते।।
— अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]