आज जो बीता
हरिशंकर नायक में वर्मा जी और सुमंत जी मिले. BD भी साथ थे. वर्मा जी और सुमंत जी का रिस्पांस ठीक नहीं था. सुमंत तो बगैर किसी अभिवादन के टोक दिया कि श्वेता जी के मार्फत आपको ड्राफ़्ट के लिए कहा था, परंतु आपने नहीं किया. पहली मुलाकात में सुमंत जी के इस व्यवहार को ठीक नहीं कहा जा सकता !
मैं तब उन सबके बीच आया था, जब प्रशिक्षण कोषांग मुझे खाने कहा, मैंने मना किया, तो वे रुष्ट हो गए, फिर एक मित्र बाहर हैं, तो कहा कि उसे भी ले लीजिए, वहाँ जाने पर ये दोनों मिले. मैंने BD को धीरे से कुछ बुदबुदाया और इसी बीच उन दोनों से बात हुई. हम दोनों वहाँ से sorry कहते हुए निकले, किन्तु लौटने पर भी वे दोनों वहीं मिले. मुझे तो झा जी लेकर चले गये, किन्तु बाद में BD ने बताया कि वर्मा जी ने कहा- उन दोनों को खाने के लिए क्यों नहीं ले गए ?
अजीब बात है न !