दो बाल-काव्यमय कहानियां- 1
1. लोभी रामू
रोज़ सवेरे मुर्गी चिनचिन,
सोने का अंडा देती एक,
खुश हो रामू ले लेता था,
कहता मुर्गी कितनी नेक!
एक दिवस आया जब लेने,
अंडा मुर्गी चिनचिन का,
सोचा उसने क्या ही अच्छा,
खत्म को झंझट हर दिन का.
सारे अंडे साथ लेने को,
चाकू ले तैयार हुआ,
एक बार भी परिणाम का,
उसने नहीं विचार किया.
चाकू से कट. मुर्गी मर गई,
अंडा निकला एक नहीं,
लोभी रामू रोता रह गया,
लोभी होना ठीक नहीं.
2. स्वामिभक्त कुत्ता
भौं-भौं भौंका शेरू कुत्ता,
रामचंद्र नहीं जाग सका,
गठरी बांध चोर ले भागा,
शेरू फिर भी नहीं रुका.
गठरी एक गड्ढे में रखकर,
चोर चल दिया और कहीं,
शेरू ने निशान बनाए,
अपने पंजे गाड़ वहीं.
मालिक के जगने पर शेरू,
उसको लेकर वहीं चला,
जहां छिपाया माल उन्होंने,
कुत्ता था वो बहुत भला.
धरती खोद सामान निकाला,
रामचंद्र हैरान हुआ,
स्वामिभक्त कुत्ते को मालिक,
करके प्यार निहाल हुआ.