शिशुगीत

संगीत

संगीत है जीवन की परिभाषा,
जीने की एक अभिलाषा,
संगीत है आत्मा, संगीत परमात्मा,
मन को सुकून देकर करे अवसाद का खात्मा.
संगीत जग का है वरदान,
संगीत एक कला है महान,
संगीत धीर भी है गंभीर भी है,
संगीत प्यासे का नीर भी है,
मां मुझको एक मुरली मंगा दे.
मैं मोहन बन जाऊंगा,
मुरली की मधुरिम लय पर मैं ,
सृष्टि को नचाऊंगा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244