नज़र जमीन पर होती है।
रहे आसमानों में उड़ते मगर
नज़र जमीन पर होती है।
ऐसे मिजाज तो बस
अच्छे इंसान में होती है।
चाहे राजा हो या रंक
सुकून सभी अपने मकान में होती है।
रहे महलों में या झोपड़ों में
अंत तो श्मशान में होती है।
व्यर्थ इस जीवन को भटकाया
असली आनन्द तो अध्यात्म में होती है।
— विभा कुमारी “नीरजा”