विविध संस्कृति, समृद्धि, भाषाई और साहित्यिक विरासत में भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ
भारत वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर क्षेत्र में एक सशक्त ताकत,तकनीकी उपलब्धियों की आगाज़ के साथ उभर रहा है।जिस प्रकार भारत की हर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में मजबूत मूल्यांकित उपस्थिति दर्ज़ हो रही है,चाहे वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता, ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की अध्यक्षता ब्रिक्स सम्मेलन,शंघाई सम्मेलन, पूर्ण विकसित राष्ट्रों के साथ बहुत करीबी रिश्ते इत्यादि उपलब्धियों से पूरे विश्व की नज़रें आज भारत की ओर आश्चर्यचकित मुद्रा में निहार रही है कि,किस तेज़ी के साथ आज भारत विकास की बुलंदियां छू रहा है।आज भारत तकनीकी,स्वास्थ्य,शिक्षा,परिवहन इत्यादि हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं,जल्द ही हम सफल भी होंगे।परंतु इन सब क्षेत्रों के अलावा एक क्षेत्र ऐसा भी है जिसमें भारत को हजारों साल से विशेषज्ञता हासिल है, और उस क्षेत्र की विशेषज्ञता में आज भी वैश्विक रूप से कोई भारत की बराबरी नहींकर सकता!!साथियों वह क्षेत्र है!!! संस्कृति,भाषा और साहित्य क्षेत्र!!!….साथियों बात अगर हम भारतीय संस्कृति,भाषा और साहित्य क्षेत्र की करें तो 22 भाषाएँ तो आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त हैं ही, पर यदि सब गिनी जाएँ तो हमारे देश में 30 से अधिक भाषाओं के साथ 100 से अधिक क्षेत्रीय भाषाएँ भी हैं जिनमें उत्कृष्ट साहित्य की रचना हुई है।इन भाषाओं की अनगिनत रचनाओं का अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है।इन प्रान्तीय भाषाओं में अपनी माटी की विशेष गंध होती है जिससे वह एक दूसरे को समृद्ध करती है। विशेषकर हिन्दी ने तो इससे आश्चर्यजनक रूप से विस्तार पाया है।यह क्षेत्र भारत की मूल जड़ है।भारत की विरासत है।भारत माता की धरती ने दुनिया को वेद उपनिषद,संस्कृति, भागवत गीता जैसे साहित्य दर्शन के अनमोल खज़ाने दिएहैं।वहीं रामायण जैसे अमर महाकाव्य दिए हैं। हम गहराई में जाएंगे तो हमें महाभारत पंचतंत्र और हितोपदेश जैसे ज्ञान से भरी दंत कथाएं और हमें अनेक बहुमूल्य नाटकों की प्रेरणा स्त्रोत कथाओं का ज्ञान दिया है,जिससे उपरोक्त ग्रंथों, साहित्य लेखकों का इतिहास भरा पड़ा है।और कालिदास के शानदार साहित्य ग्रंथों सहित अनेक उदाहरण हम दे सकते हैं जिसमें इतनी सारी साहित्यिक विरासत का दावा दुनियां का कोई देश नहीं कर सकता।…साथियों बात अगर हम वर्तमान भारतीय साहित्य की करें तो हमारे देश में वर्तमान ज़माने में भी अनमोल अमूल्य साहित्यकार मौजूद हैं जो साहित्य जगत में अपनी ख़ुशबूदार महक से अनमोल ज्ञान की ज्योत प्रज्वलित कर रहे हैं।मैं ख़ुद इस क्षेत्र में नाचीज़ एक दास सेवक हूं,जो यह महसूस कर रहा हूं कि साहित्य को एक जन अभियान बनानें में प्रिंट मीडिया का बहुमूल्य योगदान है,जो पाठकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।भारतीय साहित्य संस्कृति, भाषाई ज्ञान, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है।…साथियों बात अगर हम दिनांक 27 अगस्त 2021के एक कार्यक्रम की करें तो पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार माननीय उपराष्ट्रपति ने भी साहित्य के संबंध में कहा,कठिन समय में साहित्य उम्मीद और आशावाद प्रदान करता है।संकट के समय साहित्य प्रश्न खड़े करता है और उचित उत्तर भी प्रदान करता है।साहित्य हमें और अधिक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है।प्राचीन काल से ही भारत ज्ञान का भंडार रहा है,साहित्य, कई रूपों के माध्यम से, आंतरिक अस्तित्व को आकर्षित करता है।यह हमारी चेतना को आकार देता है और हमें अधिक बेहतर मानव बनने में मदद करता है।उन्होंने कहा, हमारे जीवनके विभिन्न चरणों में,विभिन्न लेखक और विषय हमें आकर्षित करते हैं।साहित्यमें हममें सेप्रत्येक को कुछ ऐसा प्रदान करने की विविधता है जिससे हम समय के विभिन्न क्षणों में संबंधित होसकते हैं।उन्होंने कहा कि साहित्य कठिन समय में उम्मीद और आशावाद से भरे नए अनुभवों के मार्ग खोलता है।साहित्यिक रचनाएं स्थानों, घटनाओं और अनुभवों को पुर्नजीवित करती हैं जो को हमें एक जादुई दुनिया में ले जाती हैं और जहां हम खो जाते हैं।भारत को प्राचीन काल से बुद्धिमता और ज्ञान का भंडार बताते हुए उन्होंने कहा,यह संस्कृति का एक प्रसिद्ध पालना है जिसने दुनिया को वेद, उपनिषद और भगवत गीता सहित दर्शन के अनमोल खजाने, रामायण जैसे अमर महाकाव्य दिए हैं।उन्होंने कहा कि पिछले 17 महीनों में विभिन्न गतिविधियों के डिजिटलीकरण की गति में तेजी से वृद्धि हुई है।इसने पहुंच की बाधाओं को इस तरह से ध्वस्त कर दिया है कि पहले कोई नहीं कर पाया था।और निःसन्देह प्रतिकूल परिस्थितियों में मानव रचनात्मकता की यह अप्रतिम अभिव्यक्ति है।उन्होंने घोषणा की कि मानव कल्पना न केवल असाधारण परिस्थितियों से निपटने के तरीके खोजने में सक्षम है, बल्कि प्रतिकूलता को अवसर में भी बदल सकती है।साहित्यिक हस्तियां,रचनात्मक लेखकों,नैतिकतावादियों,मार्गदर्शकों और दार्शनिकों के रूप में अपने काम के माध्यम से कई तरह से हमारी कल्पना को आकर्षित करती हैं।इस बात को रेखांकित करते हुए कि प्रारंभिक युग से लेकर समकालीन समय तक हमारी सभी भाषाओं और सभी क्षेत्रों में अटूट परंपरा का एक धागा देखा जा सकता है, कि आज भारत में हर एक भाषा कई रूपों में जीवंत साहित्यिक गतिविधि के साथ स्पंदित हो रही है। उन्होंने कहा,शायद दुनिया का कोई भी देश इतनी समृद्ध, विविध,सांस्कृतिक,भाषाई और साहित्यिक विरासत का दावा नहीं कर सकता है।अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान और बुद्धिमता का भंडार रहा है। विविध संस्कृति,समृद्धता भाषाई और साहित्यिक विरासत में भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है।भारत में साहित्यिक, संस्कृत,वेद उपनिषद का अनमोल खज़ाना है भारतीय साहित्यकार की क़लम का कमाल साहित्य की दुनिया में अनमोल है।
— किशन सनमुख़दास भावनानी