गाँधी
नया एंगिल नया आयाम गाँधी।
हमारे मुल्क को इन्आम गाँधी।
बुराई से रहे लड़ते हमेशा,
मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी।
भुला सकता नहीं सदियों ज़माना,
जहां में कर गये वो काम गाँधी।
अहिंसा लफ़्ज़ जबआया कहीं तो,
ज़बां पर आ गया है नाम गाँधी।
किसी से तुम करो बर्ताव कैसा,
सिखाते थे हमें हर गाम गाँधी।
कहीं कुछ ठानकर आगे बढ़ेजब,
नहीं हरगिज़ रहे नाकाम गाँधी।
— हमीद कानपुरी