कविता

मेरे प्रभु

मैं स्वर्ग में गमन करूं
या फिर नर्क कुंड की
अग्नि में भस्म होता रहू
मगर फिर भी
तुम मुझ में
शेष रहना मेरे प्रभु।

मैं सिंहासन पर बैठा हुआ
राज्य करू या फिर
रंक बन भिक्षा मांगू
मगर फिर भी
तुम मुझ में
शेष रहना मेरे प्रभु।

मैं जीवन के प्रारंभिक दौर में
खड़ा हूं या फिर
मृत्य के अंतिम छोर में खड़ा हूं
मगर फिर भी
तुम मुझ में
शेष रहना मेरे प्रभु।

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233