सविता वर्मा “गज़ल” के प्रथम कहानी संग्रह “एक थी महुआ” का लोकार्पण
आज दिनांक 3अक्तूबर 2021, रविवार को एस डी कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी के ऑडिटोरियम में मुजफ्फरनगर की लाड़ली रचनाकार सविता वर्मा “गज़ल” के प्रथम कहानी संग्रह “एक थी महुआ” का लोकार्पण जनपद के तथा जनपद के बाहर से पधारे मूर्धन्य साहित्यकारों की महती उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रचनाधर्मी, समाजसेवी और प्रखर राष्ट्रवादी डाॅ. अ.कीर्तिवर्धन ने तथा संचालन सोशल मीडिया पर चचा मुकन्दा के रूप में प्रसिद्ध प्रयोगधर्मी रचनाकार और पौराणिक कथाओं के शोधकर्ता मधुर नागवान ने किया। साहित्यिक संस्था “शब्द संसार” द्वारा आयोजित इस कर्यक्रम का आरम्भ रूपा चौधरी की सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर नेपाल की कवयित्री पूजा “बहार” और लखनऊ की रचनाकार रश्मि श्रीवास्तव “लहर” को आरती स्मृति सम्मान से भी पुरस्कृत किया गया।
सविता वर्मा “गज़ल” का जन्म जनपद के छपार और विवाह जानसठ कस्बे में हुआ है। कवयित्री आशा शैली, कहानी लेखन महाविद्यालय, अम्बाला के निदेशक महाराज कृष्ण जैन और कहानीकार उर्मि कृष्ण को अपने प्रेरणा स्रोत मानने वाली सविता वर्मा “गज़ल” का इससे पूर्व वर्ष 2012 में एक कविता संग्रह “पीड़ा अन्तर्मन की” भी आ चुका है। सविता वर्मा गज़ल की रचनाएँ प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित और आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से प्रसारित होती रहती हैं। मुजफ्फरनगर जनपद के साहित्यकारों में विष्णु प्रभाकर के बाद सविता वर्मा गज़ल के रचनाओं का ही आकाशवाणी से सर्वाधिक प्रसारण हुआ है। वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान, महाशक्ति सिद्धपीठ शुक्रताल सम्मान, सामाजिक आक्रोश लघुकथा पुरस्कार, शारदा साहित्य संस्था के हिन्दी साहित्य सम्मान, भारती ज्योति और भारती भूषण आदि अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित साहित्यकार सविता वर्मा गज़ल कविता, कहानी, गज़ल, नाटक, लघुकथा, बाल साहित्य आदि विधाओं में निरंतर लिख रही हैं।
“एक थी महुआ” के लोकार्पण के अवसर पर बोलते हुए नई दिल्ली से पधारे चर्चित कथाकार संदीप तोमर ने कहा कि सविता वर्मा गज़ल की यह विशेषता है कि उनकी कहानी लिखने की रवानगी से पाठक कहानी के अन्त तक बंधा रहता है। लेखिका हर कहानी का अन्त एक सकारात्मक समाधान के साथ करना चाहती है। इस बात की परवाह किए बिना कि ऊँट किस करवट बैठेगा, कहानी को उसकी स्वाभाविकता के साथ आगे बढ़ने देना चाहिए।
लालकुआँ से पधारी प्रकाशक और वरिष्ठ साहित्यकार आशा शैली ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ भी ग्रामीण परिवेश की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं के इर्द-गिर्द घूमते हुए उनका समाधान तलाश करती हैं और सविता वर्मा गज़ल की कहानियाँ भी छोटे कस्बों के निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों की कहानियाँ हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि सविता वर्मा गज़ल की कहानियाँ मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ की परम्परा को ही आगे बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। कार्यक्रम के संरक्षक डाॅ. एस.एन.चौहान ने कहानियों के उद्देश्यों पर बात करते हुए कहानी की दिशा और दशा में राष्ट्र निर्माण और समाज के उत्थान के सन्देश के महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅक्टर अ. कीर्तिवर्धन ने कहा कि जीवन में घटने वाले प्रत्येक कार्य कलाप में एक कहानी की सम्भावना होती है। एक कुशल और पारखी रचनाकार उसकी पहचान करके अपने शब्दों में ढालकर उसे एक सुन्दर कहानी का रूप दे देता है। सविता वर्मा गज़ल इस कार्य में सिद्धहस्त हैं।
नगर की प्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रयत्न के चेयरमैन और विशिष्ट अतिथि समर्थ प्रकाश व मुकेश अरोरा ने समाज के निर्माण में कवियों, कथाकारों, रचनाकारों और साहित्यकारों के योगदान को स्वीकार करते हुए समाज की ओर से भी बदले में उन्हें आर्थिक और सामाजिक सहयोग करने पर बल दिया। प्रयत्न के ही अध्यक्ष मुकेश ने सविता वर्मा गज़ल की नाटकीयता से भरपूर कहानियाँ में अपने आस-पास के पात्र एकदम सजीव हो उठते हैं इसलिए इन कहानियों से समाज के पुनर्जागरण और पुनर्निर्माण का उज्जवल भविष्य भी दिखाई देता है।
मधुर नागवान ने अपने संचालन के साथ ही टिप्पणी दी कि कहानी आज प्रयोगों के दौर से गुज़र रही है। लिखने और पढ़ने वाले दोनों के ही पास समयाभाव होने के कारण उपन्यास बहुत कम लिखे जा रहे हैं और कहानियाँ सिकुड़ कर लघुकथा हो गई हैं। लघुकथाओं में कविताओं का फ्यूजन हो रहा है और पौराणिक कथाओं में से चमत्कारिक तत्वों को हटाकर प्रागैतिहास की कहानियाँ के पुनर्लेखन का प्रयास हो रहा है।
हापुड़ से पधारे महेश वर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में प्रयोग के नाम फर कहानियाँ में न केवल फूहडता और अति कल्पना हावी हो रही है बल्कि शीघ्र लोकप्रिय होने की जल्दबाजी में लेखक धैर्य भी खोते जा रहे हैं।
सविता वर्मा गज़ल की कहानियों से यह आशा बलवती होती है कि परम्परागत कहानी लेखन कभी भी मर नहीं सकता है।
इस अवसर पर शब्द संसार की सचिव मनु श्वेता, सुमन युगल ने सविता वर्मा गज़ल की कहानी का वाचन किया और रश्मि श्रीवास्तव “लहर” ने “एक थी महुआ” संग्रह की कहानियों में से चयन की गई विभिन्न विषयों पर सूक्तियाँ भी प्रस्तुत की। इसके अतिरिक्त कवयित्री सुमन लता, वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल नारसन जी , खुशबू वर्मा आदि ने भी कहानी संग्रह “एक थी महुआ” पर समीक्षा प्रस्तुत की।
इस अवसर पर सुमन प्रभा, सुमन युगल, अखिलेश साहिल, मनु स्वामी, चिराग सिंघल, अनिल ऋतुराज, योगेन्द्र सोम, जे पी सविता , डा. प्रदीप जैन, नेमपाल प्रजापति, रामकुमार रागी, पुष्पा रानी, पंकज शर्मा आदि की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय है।