कविता
रुको मत बढ़े चलो
मंजिल अभी आई नहीं
हिम्मत तेरी टूटे नहीं
चलना ही जिंदगी है।1।
घटा है घनघोर छाई
अर्क नहीं दिख रहा
धैर्य तुम खोना नहीं
चलना ही जिंदगी है।2।
नगेन्द्र के शीर्ष पर
अभी जाना है बाकी
चरण तेरे थके नहीं
चलना ही जिंदगी है।3।
हिम शीतल हवा बहे
पैर नीचे बर्फ जमे
निराश हो रोना नहीं
चलना ही जिंदगी है।4।
वृक्ष हीन मही में
पेड़ हो हरे भरे
जहर तुम बोना नहीं
चलना ही जिंदगी है।5।
उर में जोश हो
मन में विश्वास हो
तुम कोई खिलौना नहीं
चलना ही जिंदगी है।6।
— निर्मल कुमार दे
बहुत अच्छी कविता के लिए बधाई