सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग से बचने की दिशा में प्रभावी माध्यम
ज़लवायु परिवर्तन के मद्देनजर पृथ्वी की सुरक्षात्मक कार्यवाही में से एक मानवीय जीवनशैली में परिवर्तन और सिंगल यूज़ प्लास्टिक त्यागना महत्वपूर्ण कदम – एड किशन भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तर पर ज़लवायु परिवर्तन के गंभीर स्थिति के दुष्परिणाम हम वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं के रूप में हम देख रहे हैं। क्योंकि यहसमस्या पूरे विश्व की है इसलिए इस पर मानव जाति के कल्याण हेतु वैश्विक मंथन अति तात्कालिक आवश्यक है, इसीलिए ही सभी वैश्विक देशों को पेरिस में इकट्ठा कर एक सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (काप-21) के दौरान पारित हुआ। यह पेरिस समझौता जलवायुपरिवर्तन सम्बन्धी मुद्दों पर, देशों के लिये, क़ानूनी रूप से बाध्यकारी एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि है। ये समझौता वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर 12 दिसम्बर को पारित किया गया था।4 नवम्बर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था। पेरिस समझौते का लक्ष्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास किये जाने हैं। साथियों बात अगर हम भारत की करें तो यहां भी हर स्तर पर ज़लवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से में वर्तमान और अगली पीढ़ी की रक्षा करने के लिए अनेक रणनीतिक रोडमैप और नियम विनियम अधिनियम बनाए गए हैं और कुछ पर काम चल रहा है।…साथियों बात अगर हम मानवीय जीवनशैली में विवेकपूर्ण परिवर्तन की करें तो सबसे अधिक महत्वपूर्ण संज्ञान लेना है, क्योंकि हम कितने भी नियम विनियम अधिनियम बना लें और क्रियान्वयन भी सख़्ती से करें परंतु मानवीय जीवनशैली में हस्तक्षेप करना मानवाधिकार और संविधान का उल्लंघन होगा, इसलिए हर नागरिक को चाहिए कि एक कदम आगे बढ़कर वह अपनी जीवनशैली में विवेकपूर्ण सकारात्मक बदलाव लाए जिसे हम मिशन 2022 का नाम दे सकते हैं। क्योंकि मानवीय पहलू से जुड़ा अति महत्वपूर्ण मामला सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग से हमें बचना है, जिसके लिए सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 को केंद्रीय बजट में अधिसूचना 12 अगस्त 2021 को जारी कर दी गई है जो 1 जुलाई 2022 से सख़्ती से लागू होने जा रहा है और 30 सितंबर 2021 से कैरीबैग की मोटाई 50 माइक्रान से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रान तक कर दी गई है जिसके लिए जनअभियान चलाने की अत्यंत तात्कालिक ज़रूरत है।..साथियों बात अगर हम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 की करें तो यह 2016 का विस्तारित संशोधन नियम है। साथियों बात अगर हम एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की करें तो, एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की वजह से होने वाला प्रदूषण सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती बन गया है।भारत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2019 में आयोजित चौथे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, वैश्विक समुदाय के सामने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से जुड़े बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित करने की तत्काल ज़रूरतको स्वीकार करते हुए भारत ने इस प्रदूषण से निपटने से संबंधित एक प्रस्ताव पेश किया था। यूएनईए-4 में इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था। 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन समेत निम्नलिखित एकल उपयोग वाले प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया जाएगा। एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्प के विकास और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े डिजिटल समाधानों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए, स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों और स्टार्टअप के छात्रों के लिए इंडिया प्लास्टिक चैलेंज – हैकाथॉन 2021 का आयोजन किया गया है।सरकार ने वर्ष 2022 तक चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया।विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व से संबंधित दिशानिर्देश को कानूनी शक्ति प्रदान की गई। गाँधी जयंती 2022 पर अक्टूबर महिने की दूसरी तारीख से अब भारत में इस तरह के प्लास्टिक का उपयोग करना गैर–कानूनी मानाजायेगा, हालांकि इसकी घोषणा पहले ही कर दी गई थी कि अब से सिंगल यूज प्लास्टिक की मैन्युफैक्चरिंग बंद कर दी जाये,इसलिए महाराष्ट्र तमिलनाडू, ओडिशा,मध्यप्रदेश जैसे भारत के कुल 18 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने प्लास्टिक के बैग की मैन्युफैक्चरिंग पर रोक लगा दी हैं. जल्द ही यह प्रक्रिया पूरे भारत में लागू हो जाएगी।…साथियों बात अगर हम सिंगल यूज़ प्लास्टिक से होने वाली दूरगामी नकारात्मक प्रभाव और हानि की करें तो पीआईबी के अनुसार, यह जीव–जंतु, एवं मानव शरीर के अलावा पर्यावरण कोभी प्रभावित करता हैं। जब प्लास्टिक के उत्पाद मिट्टी में मिलते हैं, तो उसमें पाए जाने वाले खतरनाक रसायन भी मिट्टी में मिल जाते हैं। इससे जब उस मिट्टी में पेड़–पौधों लगायें जाते हैं या जो खुद से उत्पन्न होते हैं उनपर यह नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। आज प्लास्टिक की बहुत अधिक मात्रा समुद्र में मिल रही हैं,जिसके चलते यदिवर्तमान रुझान देखा जाये तो सन 2050 तक समुद्र में जीव जंतुओं की तुलना में प्लास्टिक अधिक दिखाई देगा, जोकि पर्यावरण एवं जलीय जीव जंतुओं के लिए बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है। प्लास्टिक प्रतिबन्ध उत्पादजो सबसे सामान्य सिंगल यूज प्लास्टिक हैं वे हैं कैरी बैग, प्लास्टिक की पानी की बोतल, प्लास्टिक की बोतल के कैप, कप, प्लेट, डिस्पोजेबल प्रोडक्ट्स, खाने के खाली पैकेट,प्लास्टिक के किराना बैग, प्लास्टिक के पानी पौउच, प्लास्टिक के रैपर, स्ट्रॉ एवं अन्य प्रकार के प्लास्टिक बैग आदि. इसके साथ ही इस तरह के प्लास्टिक के उत्पादन में कुछ मुख्य पॉलीमर्स का इस्तेमाल करना होता हैं, जिसमें शामिल होने वाले कुछ मुख्य पॉलीमर्स एचडीपीई, एलडीपीई, पीईटी, पीपी, पीएस और ईपीएस आदि हैं। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे क कि मानवीय जीवनशैली में बदलाव मिशन 2022अत्यंत जरूरी है, व्यवहार परिवर्तन सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग से बचने की दिशा में एक प्रभावी माध्यम बनेगा तथा जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर पृथ्वी की सुरक्षात्मक कार्रवाई में से एक मानवीय जीवनशैली में परिवर्तन और सिंगल सिंगल यूज प्लास्टिक त्यागना एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
–एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी