गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

नुकसान बहुत हो गया है तेरे प्यार में
मेरा चैन और करार गया इंतजार में।

चल रही के थम गई है नब्ज देखिए
आए न दवा काम इश्क के बुखार में।

एक बार ही सही वो देखें जो पलटके
तो राहत बरस पड़ेगी दिल ए बेकरा में।

आज दर्द है तो कल इलाज़ मिलेगा
मारा गया है दिल बस इसी ऐतबार में।

आओ खेलते हैं बाज़ी इश्क की दोनों
देखेंगे क्या मिलेगा मुझे तुमसे हार में।

उम्र भर की मिले कैद तो कर दूं बंद जानिब
ये दिल नहीं रहा है जो मेरे इख्तियार में।

— पावनी जानिब

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर