बढ़ता भारत घटती इंसानियत
जनाब ये बढ़ता हुआ भारत है जहां खाद्य तेल 200 डीजल पेट्रोल 110 और रसोई गैस1000 न हो तो भारत का नाम कैसे रौशन होगा ।चाय दुकान पर एक सज्जन ने यह बात बडे अदब से कही न्यू इंडिया धनवान हो गया है ।जहां की जीडीपी 7•5 से लगातार घटकर दो ढाई पर है।
नये भारत की रहन सहन बदल गयी है बोलने के अंदाज बदल गये हैं आखिर हाफ पैट का प्रचलन का असर अब साफ दिख रहा है अब तो ताऊजी भी हाफ पैंट पहनने लगे हैं ।गिरती सभ्यता की घिनौनी कहानी आये दिन अखबारो मे पढने को मिल रही है । वो कचहरियो की लंबी कतारें फैशन से लैस होकर एक फाइल में सिमट गयी है।यह सब बढते भारत में घटते रिश्तो का कमाल है जनाब ।
एक मोहतरमा ने तो कमाल ही कर दिया खुद ही बढ़ते भारत का दामन थाम लिया है और ऐसी ऐसी मनगढंत तरकीब जिसका कोई वजूद न हो वैसा ही भ्रम इस बढते भारत के लिए बना लिया है ।अच्छा है ।शायद कुछ तसल्ली दे सके खुद को ।अजीब विडम्बना रही है इस बढते भारत की । अमीर बढते ही जा रहे है और आम जन गिरते ही जा रहे है।
जी हजूरी और चमचागिरी की सारे हदें पार कर आखिर किस भारत का सपना साकार करेगे ।अरे भाई ऐसे थोडे न भारत बढेगा भारत को बढाना है तो गरीबो को बढाना होगा आर्थिक औद्योगिक विकास करना होगा तभी सही मायने में बढती भारत की नीव होगी।।
आजकल एक चुनिंदा शब्द मिला है भक्त अरे मुर्ख इस कृषि प्रधान देश में कितने युवा खेत की मिट्टी लगाते हो शरीर में ! सभी को नौकरी चाहिए! तो राशन कैसे सस्ता होगा उपजेगी कम और खपत हो बहुत तो ऐसी मंहगाई सहनी होगी ।
सवाल सिर्फ इतना ही नही है।जमाखोरी से भी देश और दुनिया परेशान है।ये पैसा बोल रहा है गरीबो का दिल पिघल रहा है पेट जल रहा है इससे किसी को क्या वास्ता कही मारपीट हो जाय थोडी हिसा हो जाय फिर देखिए नेताओ का घटना प्रदर्शन और मगरमच्छ के आंसू उसके लिए 10 राज्य लांघकर भी आ जाएंगे आंसू बहाने।।
मुद्दा अनेक है पर मारपीट और हिंसात्मक मुद्दे हर पार्टीयां गून गूनाती रही है। अभी लखीमपुर उसका उदाहरण है।भूख मंहगाई वेरोजगारी पर इनके एक बोल नही निकलते और बढते भारत का सपना सजाते है ।आज देश में वेरोजगारी दर सबसे ऊंचे पायदान पर है मंहगाई चरम पर है।कई लोग आज भी भूखे सो जाते है ।इसलिए बंद करो ऐसे प्रवचन को जिसे सुनकर अनायास ही मन जहर हो जाता हो।।
— आशुतोष