मुक्तक/दोहा

रंग बिरंगे दोहे

मिलने देखो आ गयी, कर सोलह श्रंगार।
नयनों की मुस्कान से, साफ झलकता प्यार।01।
सजा हुआ है देखिए, मैया का दरवार।
मंदिर मां के आ गये, करने जय जयकार।02।
एक बात तो साफ है, पाकर तेरा प्यार।
धीरे धीरे हट रही, उलझन की दीवार।03।
कितना सुन्दर रूप है, मुखड़े पर क्या ओज।
मनमोहक अंदाज में, मिलने आते रोज।04।
निकले जो परिणाम पर, चल दी हमने चाल।
चाहे हो कंगाल, या चाहे मालामाल।05।
अच्छा रखिए आचरण, झुके नहीं यह माथ।
हर संभव कोशिश रहे, मिले सभी का साथ।06।
एक दूसरे पर अगर, बना रहे विश्वास।
सुधरेगे संबंध फिर, पूर्ण हमे अहसास।07।
इश्क इश्क ये इश्क है, करते नहीं सवाल।
देखो तुम भी डूब कर, कैसा होता हाल।08।

— प्रणाली श्रीवास्तव

प्रणाली श्रीवास्तव

युवा कवयित्री व गीतकार जनपद-सहडोल,मध्य प्रदेश