मुदित हुई उजियार
छुई मुई सी फुलझड़ी ,जब करती है शोर,
हो जाते हैं फुस्स तब ,ये बम आदमखोर।
शोख फुलझड़ी कर गई ,रंगों की बौछार,
चटख पटाखे कर रहे ,शोर धमाधम यार।
फव्वारों कि रोशनी,खुश कर गए अनार ,
चकरी नाचे झूम के,मुदित हुई उजियार।
दीप जल्द ही बुझ गया,निर्धन जन के द्वार .
महँगाई से हार का ,कौन करे उपचार ?
हँसते हँसते दीप जी.करें तिमिर को मात,
फुलझड़ियाँ रोशन करें,दीवाली की रात।
— महेंद्र कुमार वर्मा