दशहरा
चलो चलें साथियो हम दशहरा मनाएं
अपने अंदर बसी बुराइयों को जलाएं।
क्रोध, कपट, द्वेष, छल, दगा, अन्याय
अहंकार के विकारों को आज जलाएं ।।
माता- पिता और देश सेवा के भाव जगाएं
नारी सशक्तिकरण का दीप घर-घर जलाएं।
झूठ, फरेब, कुविचारों, कुसंस्कारों
को इंसानियत के प्रकाश से हम देश से भगाएं ।
हरियाली, खुशहाली के मंगल गीत सब गाएं
हिलमिल कर हर्षोल्लास से त्यौहार मनाएं ।
भाईचारे के खिलें सुमन प्रगति करें वतन
आओं ऐसा संकल्प लेकर दशहरा मनाएं ।।
— गोपाल कौशल “भोजवाल”