रिश्ते में प्रासंगिकता
जो आपके
बुलाने मात्र से
हाजिर हो जाय,
ऐसे अपने या रिश्ते
अब मिलने से रहे !
जो बुलाते ही आ जाय,
ऐसे ‘अपने’
कभी नहीं मिलते !
अगर ऐसे हो जाय,
तो वो अनमोल होते हैं !
बरगद की तरह बढ़िए,
खजूर या यूकेलिप्टस की
तरह नहीं !
बरगद की महानता
यह है
कि उसकी शाखाएँ ही
जड़ें बन जाती हैं !
अपने द्वारा किए
प्रतिदिन के
ईमानदारीपूर्ण
मेहनत को
पलटकर देखिए,
आपकी सफलता,
असफलता की
शर्त्त यही है !
ज्यादा कार्य करने से
कोई व्यक्ति
सफल नहीं हो जाते,
बशर्त्ते सही तरीके से
कार्य करने से
सफल होते हैं !
आजादी का यह
75वां साल है,
पर हिंदी माध्यमवाले
अबतक
आईएएस टॉपर
यानी प्रथम स्थान
नहीं हो पाए हैं.
यह है भारत में
हिंदी की दु:स्थिति !
महात्मा गाँधी
सदैव ‘प्रासंगिक’ है,
किन्तु इसका मतलब
यह नहीं है
कि अन्य महापुरुष
‘अप्रासंगिक’ है !