गीतिका/ग़ज़ल

शीर्षक :- प्यार की मर्यादा

कुछ चेहरों को कभी भुलाया नहीं जाता
गैर तो गैर हैं उन्हें कभी पाया नहीं जाता

प्यार की मर्यादाओं में जो बंध जाते हैं
तो बंदिशों की सीमाओं को लांँघा नहीं जाता

मरता तो रोज है खयालों में हर आदमी
मौन होठों में दर्द कभी छुपाया नहीं जाता

प्यार तो समर्पण , त्याग की एक कहानी
खुद को मिटा कर भी इसे भुलाया नहीं जाता

यह दर्द की बारिशें आंँखों से बरसती रहती हैं
उम्र गुजर जाती है मगर इंतजार नहीं जाता

— सारिका ठाकुर “जागृति”

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)