मिट्टी
*मिट्टी*
सार है व्यवहार है संसार है मिट्टी |
जग रचा जिससे वही आधार है मिट्टी |
लहलहाती है फसल गुल मुस्कराते हैं –
अन्न उगता है जहा गुलज़ार है मिट्टी |
शून्य बसता है जहा वीरान हो धरती –
सब उसे बंजर कहे बेधार है मिट्टी |
पेट को रोटी मिले घर में उजाला हो –
दीप मालाएँ सजे आकार है मिट्टी |
हों सभी त्योहार पूरे पूर्ण हो सब काम-
देव प्रतिमाएँ गढे साकार है मिट्टी |
आदमी की आदमीयत का मिले आभास –
व्यक्ति का व्यक्तित्व मूलाधार है मिट्टी |
शान से जीना सिखाए शान से मिटना-
धर्म और ईमान है उद्धार है मिट्टी |
देश का सम्मान है यह देश का गौरव –
ईश की आराधना है प्यार है मिट्टी |
पंच तत्वों से हुआ निर्मित हमारा तन –
मैं करूँ वन्दन तेरा उपकार है मिट्टी |
©®मंजूषाश्रीवास्तव”मृदुल’