अवंतिका पुरी में धर्म की नगरी,साहित्य की नगरी,प्रेम की नगरी,नृत्य, संगीत की नगरी,ज्योतिष,गणनाओं की नगरी,सौंदर्य की नगरी आदि भाव समाहित है।देवताओं और अपने अपने आराध्यों का ऐसा चुम्बकीय आकर्षण जिसके आगे हर कोई नतमस्तक हो जाता है।नो रत्नों के नाम से गलियों के नाम है।,कृष्ण सुदामा पढ़ते वो सांदीपनि आश्रम, महाकाल, गढ़कालिका, काल भैरव, सिद्ध वट, मंगलनाथ, सन्तोषीमाता, चिंतामन गणेश, रामघाट,गोपाल मंदिर,हरसिद्धि मंदिर, राजा भर्तहरि, दत्तअखाड़ा, शनिमंदिर, आदि धर्म के ऐसे मंदिर जहाँ आप सुकून पा सकते है।सर्प उद्यान, यंत्र महल, कालियादेह पैलेस, भैरव गढ़ प्रिंट, इस्कॉन मंदिर, टॉवर आदि इतना कुछ देखने का है यदि देखे तो एक सप्ताह लग सकता है।अभिनय और काव्य की नगरी में कर्क रेखा भी ग्राम डोंगला में कमाल करती है । जहाँ 21 जून को दोपहर में परछाई विलुप्त हो जाती है। प्राचीन ग्रन्थों में अवंतिकापुरी के गाथाएं लिखी हुई है। अवंतिका पुरी (उज्जैन) सिंहस्थ, बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग विश्व प्रसिद्ध है। उज्जैन की मेहंदी, कंकू भी प्रसिद्ध है। यहाँ के हर स्थान की अपनी खासियत है जिसका उल्लेख पुराणों में भी पढ़ने को मिलता है। धार्मिक नगरी में क्षिप्रा नदी का अपना महत्व है। दर्शनीय स्थलों के दर्शन से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
— संजय वर्मा “दॄष्टि”