#महरूम
“हे परवरदिगार कभी महरूम न करना मुझे,
इस प्रकृति प्रेम, जीव-जंतुओं के प्रेम से,
अपनी मानवता के प्रति समर्पित भाव से,
मैं जिंदगी भर रहूंगी आपकी शुक्रगुजार।”
— नूतन गर्ग (दिल्ली)
“हे परवरदिगार कभी महरूम न करना मुझे,
इस प्रकृति प्रेम, जीव-जंतुओं के प्रेम से,
अपनी मानवता के प्रति समर्पित भाव से,
मैं जिंदगी भर रहूंगी आपकी शुक्रगुजार।”
— नूतन गर्ग (दिल्ली)