कविता

सुहागिनों का पर्व करवाचौथ

 

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी,
चंद्रमा को अर्घ्य देकर करते पारण,
उपवास के बाद भोजन करने का है विधान,
इसी का नाम है करवाचौथ।

करवाचौथ और कर्क चतुर्थी,
होता इसका पर्याय,
चंद्र‌उदय तक बिना पानी पिए रख उपवास,
पुण्य संचय करना होती इसकी विधि।

सुहागिनों का व्रत पर्व होने के नाते,
यथासंभव और यथाशक्ति श्रंगार करके,
सुहागिनें अपने अंत:करण के उल्लास को,
करती प्रकट बिना किसी कारण के।

भारतीय नारी कर यह व्रत करती गौरवांवित महसूस,
हाथों में रचा मेंहदी करती सोलह श्रृंगार,
भगवान गणेश, माता पार्वती, पिता शिव, कार्तिकेय,
साथ में नन्दी जी की भी पूजा है की जाती।

चाहे हो पति कैसा भी पर करती व्रत पूरा पत्नी,
पत्नी का पति के प्रति यह समर्पण,
दूसरे किसी धर्म में न मिले देखने को,
उपवास से कार्य‌अनुष्ठान‌ द्वारा लेती संकल्प।

मौलिक रचना
नूतन गर्ग (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक