गुरू नानक ने
अंध विश्वासों को समझाया था गुरू नानक ने।
एक सुन्दर संसार बनाया था गुरू नानक ने।
माता तृप्ता के घर जन्म लिया महिता कालू के जाए।
राऐ भोएं तलवंड़ी अन्दर एक ज्योति लेकर आए।
किरसानी एंव लेखन को मानवता के बीच पिरोया।
विश्व जगत की वास्तविकता के भीतर लौ को बोया।
बीबी सुल्खणी से शादी के पवित्र बांधे बंधन।
लक्ष्मी चन्द तथा श्री चंद दो बच्चों का प्राप्त धन।
बीबी नानकी अपनी बहना से प्यार हमेशा पाया।
एक पवित्र रिश्ते का था एक इतिहास बनाया।
बाबा नानक ने (1ú) एक ओंकार का एैसा प्रतीक बनाया।
इसके बदले आज तक कोई दूजा नाम ना आया।
कविता में प्रतीकों-बिम्बों, तश्वीहों के सूरज।
इन्सानी कदरों-क़ीमत की जिस में है एक सूरत।
आगामी पीढ़ियों के लिए बाणी है चढ़ता सूरज।
मानव आज़ादी अद्भुत, अंधेरे में ना खड़ता सूरज।
मील हजारों पैदल चल कर चिंतन को रूशनाया।
सामाजिक इन्साफ के लिए खुद को कष्टों में था पाया।
दंपती जीवन की भी की है बाणी मंे अच्छाई।
दैहिक, भौतिक सूखों की भी की है राहनुमाई।
बाला और मरदाना दोनों सच्चे मित्र साथ रहे।
कीर्तन की मर्यादा अन्दर बन कर सच्ची ढाल रहे।
देश विदेशों की मानवता को सीधे पथ दिखाए।
रूप विधानों वाली कविता भीतर जगत सजाए।
जागृण, प्रेरण, संघर्ष, कर्त्तव्य, विचारक चिंतन शक्ति।
इन सब तत्वों मंे भर दी सारी समता भक्ति।
अंत समय में मेहनत कर के खेती को अपनाया।
तब फिर ‘बालम‘ बाबा नानक, नानक था कहलाया।
करतार पुरे में 69 वर्षों में ज्योति ज्योत समाए।
सब धर्मों के रहबर बन कर इक इन्सान कहलाए।
— बलविन्दर ’बालम