Author: बलविन्दर ‘बालम’

बाल कविता

अपने गांव में आते झूले

अपने गांव में आते झूले।सबके मन को भाते झूले। भिन्न-भिन्न जातों-पातों में।प्रभातों एंव रातों में।लौकिक नगमे गाते झूले।अपने गांव में

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