अन्य लेख

दर्शनीय स्थलों की जन्नत है ऊटी

ऊटी दर्शनीय स्थलों की जन्नत है। पैर पैर पर ख़ूबसूरती अपनी परिभाषा स्वंय कहती है। ख़ूबसूरती प्राकृतिक शक्ति तथा मानवीय उद्यमों का इतना मर्मस्पर्शी मिश्रण है कि सुन्दर दृश्य आँखों के माध्यम से हृदय के उतर कर आनंदविभोरता का अहसास दिलाते चले जाते हैं। यहां पहाड़ों की चोटी से गिरते दिलकश निर्झर, सीढ़ियांदार लम्बे-चौढे चाय […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ज़िंदगी को अर्थ सच्चे बख़्शती है पाठशाला। अर्चना पूजा शिवाला बंदगी है पाठशाला। अंधेरों को रौशनी की एक नईं तजवीज़ देती, चमकता सूर्य, सितारा, दोस्ती है पाठशाला। अक्ल के जौहरी इसके मस्तिष्क से तीक्ष्ण, कर्म मार्ग के रत्त्न से चमकती है पाठशाला। आलसी कमज़ोर आदत इसके पूरक होती नहीं है, तपस्वी साध्क को देती ज़िंदगी […]

कविता

नारी जन्नत की परिभाषा

नारी जन्नत की परिभाषा। नारी पीढी की अभिलाषा। नारी मन्दिर में जैसे ज्योति। नारी समता से भरी गोदी। नारी शीतल नीर समन्दर। नारी सचखण्ड में हरिमन्दिर। नारी धरती नारी अम्बर। नारी सुखमणि दुख अन्दर। नारी शुभ मंगल अभिवादन। नारी मारूस्थल में सावन। नारी अग्नि नारी मंजर। नारी दुश्मन के लिए खंज़र। नारी सत्यम सुन्दरम शक्ति। […]

गीत/नवगीत

गीत – नए रंग हैं नए ढंग हैं

नए रंग हैं नए ढंग हैं नए नियमों की होली है। नए प्रयोग परिवर्तन में यह कस्मों की होली है। नए हैं भाव दृष्टिकोण का आगाज़ बढिय़ा है। कि उड़ते बाज के पँखों में तो परवाज़ बढिय़ा है। यह शिष्टाचार श्रद्धा प्यार एंव कदरों की होली है। नए रंग हैं नएं ढंग हैं नए नियमों […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

रिश्ते ऐसे ढल गए कहते तू क्या है? खोटे सिक्के चल गए कहते तू क्या है? इक इक कर के जीवन के सरमाये से, हौले हौले पल गए कहते तू क्या है? कौन से खेत बिगाने की तू मूली है, ठग्गों को ठग छल गए कहते तू क्या है? अपने आपको समझते थे जो पाटे […]

गीत/नवगीत

गीत

न्योछावर की लै कर के दीप्त सुरम्य भारत। सीस हथेली ऊपर धर के दीप्त सुरम्य भारत। गणतंत्र की इतिहास व्यवस्था से संविधान बनाया। अमर सपूतों कर के ही आज़ादी दिवस कहलाता। तब ही सूर्य भांति मर के दीप्त सुरम्य भारत। न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत। जाति धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक नवनिर्माण। […]

इतिहास

सर्दियों का उपहार – रजाई और तलाई का इतिहास

सर्दियों (जाड़ो) में रज़ाई तथा तलाई के आनंद की अपना ज़रूरत होती है। अच्छी नींद तंदरूस्ती देती हे तथा जाड़ों में अच्छी नींद लेने के लिए रज़ाई तथा तलाई का सेंक लेना अति ज़रूरी होता है। जाड़ों में लिहाफ या रज़ाई लेना अनिवार्य होता है। जाड़ों में सोते समय रज़ाई तथा तलाई का बादशाही आनंद […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

प्रकृति की ख़ूबसूरती का संकल्प है : बसंत ऋतु

माघ शुक्ल पंचमी के दिन बसंत का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी के दिन कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा होती है। भव्य फूल, स्वस्थ फल लताएं बन्दनवार से ऋतु रानी बसंत का अभिनंदन करती हैं। यह त्योहार में ऋतुओं की रानी बसंत के नेतृत्व की सूचना देता है। बसंत फबीले मौसम का […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हर्ष, उमंग एंव सद्भावना का त्यौहार: लोहड़ी

छोटी-छोटी खुशियों का संग्रह है ज़िंदगी। खुशियों का पूरा गगन किसी के भी पास नहीं है कि मनुष्य जब चाहे खुशी का सितारा तोड़ कर ज़िन्दगी को श्रृंगार ले। मनुष्य ने मौसम, दिन, वातावरण, रीति रिवाज़, रिश्ते-नाते, मोहब्बत, प्रेम, लगाव तथा परम्पराओं इत्यादि को मद्देनज़र रखते हुए हर्ष, चाव इत्यादि को ढूंढने के लिए मेलों, […]

कविता

नया साल

कंधे पर गैंती उठाए एक नन्हा मज़दूर नंगे पांव, अर्द्ध वस्त्र कड़कड़ाती सर्दी सड़क के किनारे अपनी मज़दूर मां के पीछे पीछे चल रहा है भविष्य से बेखवर सूर्य ढ़लने की ओर खूब सजे हैं बाज़ार मिठाईयों की सुरभि ललचाती यिहबा कुछ माटी के दीपक रंग बिरंगी मोमबत्तियां क्या मालूम? किस घर में देंगी रौशनी […]