गीत/नवगीत

गीत

जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

अपने हाथों से इलायची पान भी देवेंगे अब।

            जो तुम्हारे कष्ट का निर्वाण भी कर सकते हैं।

            आप गर चाहो तली पर जान भी धर सकते हैं।

            मूर्ति में असल का भगवान भी देवेंगे अब।

            जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

फिर झुका कर सिर करें वंदना तथा आदाब भी।

मीट मुर्गा धन सहित मदिरा एंव ठंडा आब भी।

आन सारी शान सारी मान भी देवेंगे अब।

जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

            जायज़ और नाजायज़ मांगें सिर माथे पर रख लेंगे।

            ज़हर गर दोगे तो फिर वह ज़हर सारा चख लेंगे।

            कर्ज़ कर के माफ शुद्ध किरसान भी देवेंगे अब।

            जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

ख़ूबसूरत भविष्य की सृजन तुम्हारे वास्ते।

जिस्म मन धन रूह का अर्पण तुम्हारे वास्ते।

फूले खिलने के भव्य अनुमान भी देवेंगे अब।

जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

            असल को यह नकल में एवं नकल को तकसीम में।

            बदल देंगे फिर तुम्हारी नसल को तकसीम में।

            झूठ भीतर सत्य का परवान भी देवेंगे अब।

            जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

हाथ कानों का लगा कर पैर भी पकड़ेंगे फिर।

मुग्ध करने के लिए अलंकार भी जकड़ेगें फिर।

सिर्फ आटा दाल क्या मिष्ठान भी देवेंगे अब।

जान भी मांगों तो नेता जान भी देवेंगे अब।

            यह सदा आरोह एंव अवरोह की भाषा जानते।

            औपचारिक दर्द में आशा निराशा जानते।

            ऋषियों मुनियों की तरह व्याख्यान भी देवेंगे अब।

            जान भी मांगों तो नेता जान भी देवेंगे अब।

देश मेरे के जवानो सब उठा क्या करते हो़?

क्यों स्वंय तुम हक़ के सभ्याचार से डरते हो?

सच जवाहर मोतियों की खान भी देवेंगे अब।

जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

            अगर बालम तू भी होना चाहता मशहूर फिर।

            आ जा सियासी शरण में ले के पैसे का नूर फिर

            फूल की मालाएं एंव सम्मान भी देवेंगे अब।

            जान भी मांगो तो नेता जान भी देवेंगे अब।

— बलविन्दर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409