भाषा-साहित्य

दीप जले, दिल ना जले

भारत के प्राय: गाँव-क़स्बे में कोई न कोई सैनिक अथवा सैन्याधिकारी के परिवार रहते हैं। हमारे तरफ से उनके परिवार को प्रत्येक पर्व-त्यौहारों में हस्तलिखित सुन्दरतम स्केचिंग कर शुभकामना-सन्देश रजिष्ट्री डाक से भेजे जाय, ताकि सैनिक परिवार इसे फ्रेमिंग कर रख सके।

रजिष्ट्री शुल्क के रूप में 22 रुपये जो भारतीय डाक विभाग को दिया गया, उसे शहीद और घायल सैनिक राहत कोष में जमा किया जाय। यही इस दीपावली में दीप जलाने से भी उन्नत उन्हें सच्ची शुभकामना होगी, यथा-

“नो बिजली बल्ब,
नो मोमबत्ती,
सिर्फ़ सरसों तेल सनी
बाती लिए
मिट्टी के
दीपकों को जलाएँ
और इन दीये के
निर्माता कुम्हारों को
मिठाई खिलाएँ।

दीप जले,

दिल ना जले !

दीप से दीप जले,

दिल से दिल मिले !

दीवाली मनाएँ,

दीवाला न बनें !

यही है-
दिल का निर्देश,
दीवाली का संदेश !”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.