दीप जले, दिल ना जले
भारत के प्राय: गाँव-क़स्बे में कोई न कोई सैनिक अथवा सैन्याधिकारी के परिवार रहते हैं। हमारे तरफ से उनके परिवार को प्रत्येक पर्व-त्यौहारों में हस्तलिखित सुन्दरतम स्केचिंग कर शुभकामना-सन्देश रजिष्ट्री डाक से भेजे जाय, ताकि सैनिक परिवार इसे फ्रेमिंग कर रख सके।
रजिष्ट्री शुल्क के रूप में 22 रुपये जो भारतीय डाक विभाग को दिया गया, उसे शहीद और घायल सैनिक राहत कोष में जमा किया जाय। यही इस दीपावली में दीप जलाने से भी उन्नत उन्हें सच्ची शुभकामना होगी, यथा-
“नो बिजली बल्ब,
नो मोमबत्ती,
सिर्फ़ सरसों तेल सनी
बाती लिए
मिट्टी के
दीपकों को जलाएँ
और इन दीये के
निर्माता कुम्हारों को
मिठाई खिलाएँ।
दीप जले,
दिल ना जले !
दीप से दीप जले,
दिल से दिल मिले !
दीवाली मनाएँ,
दीवाला न बनें !
यही है-
दिल का निर्देश,
दीवाली का संदेश !”