दो बाल काव्यमय कथाएं
1. दयालु शेर, दिलेर चूहा
एक शेर जंगल में सोया,
मीठे सपने देख रहा,
चूहा एक शेर के ऊपर,
उछल रहा और कूद रहा.
पंजे में ले शेर ने उसको,
कहा, ”मैं तुझको खाऊंगा,
बोला चूहा, ”दया करो कुछ,
काम कभी मैं आऊंगा.”
शेर फंसा जब जाल में तब वह,
खूब दहाड़ा-गुर्राया,
उसकी गुर्राहट को सुनकर,
झट चूहा बाहर आया.
कुट-कुट करके जाल काटकर,
जान बचाई शेर की,
कहा शेर ने, ”तुम हो काम के,
साथ ही बहुत दिलेर भी.”
2. अंगूर खट्टे हैं
करते-करते सैर लोमड़ी,
एक बाग में जा पहुंची,
अंगूरों के गुच्छों वाली,
बेलें देखीं कुछ ऊंची.
अंगूरों को देख लोमड़ी,
झट खाने को ललचाई,
अंगूरों की लालच में तब,
उसने ऊंची कूद लगाई.
पहुंच न पाई फिर भी मूर्ख,
लालच छोड़ नहीं पाई,
और जोर से कूदी फिर भी,
ऊपर पहुंच नहीं पाई.
सारा बदन लगा जब दुखने,
बोली, ”अब मैं जाती हूं,
ये अंगूर हैं खट्टे भाई,
नहीं इनको मैं खाती हूं.”