कविता

सकूं

पहले कम था पर गम न था
खुशियां महकती थी घर आंगन
फर्श कच्चा था तो क्या हुआ
गुलाब चमेली से महकता तो था
दरवाजे पर नीम का पेड़ तो खड़ा था
आज
क्या नही है
सब कुछ तो है
किस चीज की कमी है
पर जिसकी तलाश है
वही नहीं है

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020