पुरानी राजनीतिक डायरी से
“लोग अगर
केंद्र सरकार के
कार्यों की प्रशंसा करे,
तो उसे मोदीभक्त
कह दिया जाता है।
लोग इसी डर से
न अपने बाप की
प्रशंसा कर पा रहे हैं,
न पत्नी की !
यही कारण है,
‘मोदीभक्त’
और ‘लालूपुत्र’ की
आजकल खूब चर्चा है!
क्या इनदोनों में
कोई समानता है ?”
अतिउत्साही भाजपा के लिए कर्नाटक उपचुनाव परिणाम ‘दक्षिण’ में खतरे की घंटी ! चले थे दिवाली मनाने, किन्तु दीवाला हो गए! कर्नाटक उपचुनाव में कांग्रेस-जदएस गठबंधन ने 5 में से 4 सीटें जीत ली हैं । कर्नाटक की 3 लोकसभा सीटों और 2 विधानसभा सीटों में से बीजेपी महज एक लोकसभा सीट ही जीत पाई है, वह भी शिमोगा ! जो कि पूर्व मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा की खाली सीट को उनके पुत्र ने जीता है।
बेलारी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार वी एस उगरप्पा 2,43,161 वोटों के अंतर से जीते । जो just पहले भाजपा ने जीती थी, किन्तु यह कांग्रेस की परंपरागत सीट है । ध्यातव्य है, सोनिया गांधी प्रथमबार यहाँ से भी खड़ी हुई थी और उन्होंने सुषमा स्वराज को 50 हजार से अधिक वोटों से हरायी थी।
मांड्या लोकसभा सीट पर जदएस के एल आर शिवराम गौड़ा ने बाजी मारी, उन्होंने 3,24,943 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है ।
विदित हो, शिमोगा लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, जो पहले भी भाजपा की थी।
बी वाई राघवेंद्र ने शिवमोगा लोकसभा सीट पर जदएस के मधु बंगारप्पा को हरा दिया । राघवेंद्र ने 52,148 वोटों के अंतर से मधु बंगारप्पा को हरा दिया है। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले भाजपा को स्वयं के आगे बढ़ते जा रहे कदम को फूँक-फूँक कर उठाने होंगे! ….. और 5 राज्यों के विधानसभाई चुनाव में अपनी औकात दिखाने होंगे!