ये दुनियाँ गोल है
ये दुनियाँ गोल है
नकली मीठे बोल है
कोई किसी का नहीं है प्यारे
सब पात्र के दोहरे रोल है
ये दुनियाँ गोल है
चरित्र का नहीं मोल है
असली भी खोटा नकली से धोखा
बेईमानों का झोल है
ये दुनियाँ गोल है
ईमान का नहीं तौल है
दिल में काला घर बना है
बहुरंगी सब घोल है
ये दुनियाँ गोल है
भेड़िये का पहने खोल है
सफेदी का चोला पहने है
भीतर से सब ढोल है
ये दुनियाँ गोल है
हवा में लटका पोल है
स्वार्थ के घाट पर सब लेटा है
बहुत ही गहरा ये मोल है
ये दुनियाँ गोल है
— उदय किशोर साह