खनकती चुड़ियों से सज गई है सुबह शाम गॉव की पनघट घुँघट में चल पड़ी दुल्हन बजी पायल की है रूनझुन कलश माथे पे ले सॉवर गौरी हवा में आँचल मुस्कुराती है तरू पे बैठी कोयलिया हमें प्रेम की एहसास कराती है राह से जब गुजरती है दुल्हन जवां दिल रोज धड़कता है एक नजर […]
Author: उदय किशोर साह
पतझड़
कल तक तेरा साथ था मेरा कुदरत ने क्या खेल खेलाया जुदा हो चले हम तुमसे डाली पतझड़ ने रिश्ता तुड़वाया कल तक हम तेरे साथ चले थे पर जब मेरी उम्र हुई पुरी पीला पड़ गया चेहरा था मेरा ख्वाब अब तक रह गई अधूरी मौसम की हाथ कैसा निर्दयी है […]
सच्चा प्रेम
पूरा होगा अब अपना सब सपना खुशियों की चमन सा घर हो अपना आओ मोहब्बत को नजीर बनायें लैला मंजनूं सा बन कर हम दिखायें दो नदियों का जैसा हो मिलन गंगा यमुना सा अपना हो संगम हम दो हमारे भी दो का होगा नारा छोटी सी परिबार सुख की हो धारा ना कोई […]
जिन्दगी
जिन्दगी सुख की चाहत अरमान है जिन्दगी दुःख भरी एक फरमान है जिन्दगी बदनसीबी की जाम है जिन्दगी खुशकिस्मती का नाम है जिन्दगी परेशानी का एक साया है जिन्दगी दुखियारी की माया है जिन्दगी खुशियो की बरसात है जिन्दगी ठोकर की आघात है जिन्दगी शराब की जाम है जिन्दगी जहर भरी पैगाम […]
रे दीपक तूँ तन मन से जल
रे दीपक तुँ तन मन से पल पल जल कर देना हर घर जन जन का उज्जवल तेरी त्याग कुर्बानी तेरी ही काम आयेगी जग वाले तेरे पुण्य की याद हर दिन गायेगी तुमको जीवन उस रब ने दिया है जन सेवा का तुम काम लिया है दधिचि मुनि की धरती पर आया त्याग बलिदान […]
रिश्ता
रिश्ते का धन जग में है अनमोल पर मतलब की दुनियाँ कर दी गोल प्रेम मोहब्बत की है कहॉ अब बोल टुट गई समाज से अब मेल जोल कैसी बह रही है इस जग में रीत परिजन से टुटा मानव का प्रीत माता पिता को वृद्धाश्रम पहुँचाया पत्नी बच्चे से सब प्रीत बढ़ाया संयुक्त […]
चाय
चाय की चुस्की हँसीन है प्याला शाम रंगीन नजारा बेहद निराला मन को तरोताजा तुरंत है करता शाम सबेरे सेवा में ये रहता आसाम दार्जलिंग से टुट कर आई घर घर में ये अपनी पहुँच बनाई मजदूरों ने पहाड़ी से गर्दन तोड़ा शहर के मशीन ने बेरहमी से मोड़ा टी बोर्ड कलकत्ता में पेटी में […]
ऋतुराज बसंत
ले रही है तन मन धरातल पे अंगड़ाई कितना मनमोहन बसंत ऋतु है आई चारों ओर गुलशन मे फूल सुहावन ऋतुराज बसंत का हो रहा आगमन चमन में मुस्कुराती है नई नई कलियाँ रंग विरंगे से सजी नव पल्लव डालियाँ कितना सुन्दर गुलशन है आज पावन ऋतुराज बसंत का हो रहा आगमन अमुवा की डाली […]
तिरंगा हमारी है शान
तिरंगा हमारी आन बान शान तिरंगे हिन्द की है एक पहचान जब जब आया गुलामी की दौर हम ने थामा तिरंगें की सिरमोर हम हैं आजादी के पागल दीवाने तीन रंगों से रंगे हम वीर परवाने हरा हमारी धरातल की हरियाली केसरिया बल बरसाने वाली तिरंगा लेकर जब चलते हिन्द मतवाले दुश्मन […]
अट्टाहस
सुबह हुई अब शाम हुई प्रभु तुँ है क्यूॅ अब तक अनजान गद्दारी की भाषा से चुभ रही है घायल मन हुआ अपना हिन्दुस्तान दुश्मन की भाषा का है यहाँ शोर छुप रहा है राष्ट्रभक्ति का सिरमोर टी वी पर छिड़ा है जहाँ विवाद किस किस से करें अब फरियाद भारत की छवि धूमिल करने […]