जब जब बेईमानों के सीने पर होने लगती है ईमान की प्रहार चोर लुटेरों की महफिल में ईमानदारी से बढ़ जाती तकरार ईमान की जब नीयत साफ हो ना होती स्वार्थ का व्यापार तब बेईमानों के मुहल्ले में मच जाती है चीख पुकार चोर चोर मौसेरे भाई बन जाते एक […]
Author: उदय किशोर साह
आया होली का त्यौहार
बह रही फागुन की बयार रंग की बरस रही है फुहार कान्हा खेले रंग गुलाल होली की मची है रंग धमाल कनक पिचकारी ले बिहारी चल पड़े गोपियों संग मुरारी रंग से रंग दी चोली चुनरी बज रही ढोल डफली मंजरी किसने घोल दी फिजां में भंग युवा में चढ़ गई होली […]
आराधना
आराधना प्रभु मेरी हो स्वीकार कर दो आततायी का संहार जो कर रहे हैं बहन बेटी पे प्रहार कब तक रहेगी नारी बेबस लाचार हर नुक्कड़ पे खड़ा है वहशी गाँव कस्बा हो या क्षेत्र रिहायशी हर कदम पे लगता है पापा को डर कब भेजेगी कानून इन्हें लाल घर मौन बैठा है देश का […]
चलो ख्वाब सजाते हैं
चलो सपनों में हम खो जायें ख्वाबों में एक दुजे के खो जायें ख्वाब सजायेगें सपनों में हम तुम चुपके से जुल्फों में छुप जायें गुमसुम परिन्दा की तरह उड़ जाना है जानम नीला अम्बर होगा अपना घर सनम बादल के बीच बस जाना है कब तेरा ईशारा हो जायेगा जब […]
भ्रूण की अभिलाषा
माँ मुझे भी इस धरती पर अपनी कोख से आने दो इस पावन धरती पर आकर माँ बहन पत्नी बन जाने दो मैं भी तेरी ही जैसी किसी के घर की लक्ष्मी बनूँगी इस धरती पर अवतरण लेकर सूरज चन्दा सितारे भी देखूँगी नानी माँ ने जैसे तुम्हें जन्म दिया इस दुनियाँ को दिखलाई […]
सच्चा प्रेम
सच्चा प्रेम तुमसे मैं किया है मर कर भी ना भूलेगें तुम्हें लाख दीवार बन जाये जमाना रूह में दफन कर लेगें संग तुम्हें ना मैं तेरी सूरत का अवलोकन किया ना तेरी रंग रूप पे फिदा हुए हैं हम तेरे तन मन की प्यार की खुशबू से महक रहा है मेरे प्रेम की ये […]
अर्न्तद्वंद
अर्न्तद्वंद की पीड़ा से हूँ मैं घायल किसको बनाऊँ अपराध की कायल मन में छिड़ी है कसमकस की जंग में खुद को खुद से हो गया हूँ तंग कभी अन्तरात्मा हमें भटकाता है कभी मन को भ्रमित कर जाता है अब तुम ही बताओ ओ रब हमको कैसे लड़ूं मैं खुद से खुद की जंग […]
जौहरी
हीरे की कीमत तुम क्या जानो तुम हो एक कबाड़ का कबाड़ी हीरे की परख जौहरी ही जानें जो हीरे की है एक व्यापारी डींग हॉकने वाला कभी ज्ञानी नहीं हो सकता है जग में विद्वता वो नहीं है कायनात में जिसका तमाशा हो मेले में ज्ञानवान कभी नहीं कहता है वो […]
संस्कार दीजीये
जनम दिया है गर बिटिया को भरपूर संस्कार उन्हें दीजीये हर नुक्कड़ पे भेड़िया बैठा है खबरदार उन्हें खुद कीजीये बह रही है बयार विदेशी सभ्यता की भारतीय सभ्यता की ज्ञान सींचीये हम हैं सनातनी आर्य वंशज की ये धार्मिक ज्ञान की सीख भी दीजीये प्रेम विवाह एक रोग है भयंकर अवैध चलन से अगाह […]
सत्य की तपिश
सत्य की तपती आग पे चल पड़े हैं मेरे दो कदम अंजाम चाहे जो भी हो रूकने ना पाये मेरे दम पापों की दलदल में खिलना अब हमें मंजूर नहीं है साईं बेईमानों के इस गुलशन में महकना मंजूर नहीं है साईं चल पड़ा हूँ कॉटों की पथ पर भले पैर लहू लुहान हो जाये […]