कविता

बेवफाई 

तेरी जुल्फे काली         घटायें जैसी
तेरी जुड़े बदरा की        साथी जैसी
तेरे यौवन को हवा चूम        जाती है
फिर भी तुम्हें गुस्सा क्यूँ नहीं आती है

छू कर भग जाती है तेरे होठों को  बयार
क्या तुम से कर ली है हवा    सच्ची प्यार
किस किस प्रेमी से तुने प्रेम इजहार किया
ये हरकत बेवफाई मेरे साथ दिलदार किया

तेरे आँचल में छुपी है मोहब्बत की एक साया
इस पर मेरा अधिकार मैने है जनम से   पाया
मत कर तुम मुझसे बेवफा कोई अब गद्दारी
तेरा मेरा जन्मों जन्मों से है अटुट           यारी

जब जब ये सावन धरातल       पे आया है
हम पर तेरे प्यार का शरूर चढ़ आया      है
ये मौसम का रूत बड़ी हरजाई               है
फिर भी तुम्हें मेरे यार समझ क्यूं नहीं आई है

— उदय किशोर साह 

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088