चरागे उल्फ़त जला रहा था
वफ़ा वो उनसे निभा रहा था |
चरागे उल्फत जला रहा था |
मुहब्बतों का चमन खिला कर
वो दिल का दामन सजा रहा था |
बसा था दिल की जो धड़कनों में-
वो गीत हँस गुनगुना रहा था |
करार दिल का तुम्ही हो मेरा –
वो मुस्कराकर बता रहा था |
गुलों के किस्से सुना सुना के-
वो प्यार अपना लुटा रहा था |
सुनाई दी जब दिलों की धड़कन-
वो बेवजह मुस्कुरा रहा था |
‘मृदुल’महकता हुआ समां भी-
हंसीन लम्हे चुरा रहा था |
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’