एक क्लासमेट की दास्ताँ
साढ़े पांच फीट का दुबला-पतला व एक फेफड़ा का यह इंसान, जहाँ सेक्स की बातों में मानों Ph.D. प्राप्त कर चुके हों ! वह हर बातों को सेक्स की धुन में इस भाँति से समेटता कि मत पूछो, वह पढ़ाई में crankshaft से जुड़े पिस्टन की तुलना अपने लिंग से कर बैठता, चाहे crankshaft revolution करें या न करें ! लेकिन सपनों में वह हर दिन नई-नई लड़कियों के साथ सोते और उस रात की अपनी कहानी सुनाता । वह अपनी कहानी को इतनी चाव से सुनाता था कि सामनेवाले भी इस प्रेम-कहानी को सच मान बैठते !
पर अफसोस ??? इतने पतले इंसान का उपनाम HOD पड़ने का कोई खास वज़ह नहीं है, बल्कि सेक्स के प्रति उसका यह अगाध ज्ञान और साहित्य क्लास के लेक्चर को छोड़ उस क्लास को पकड़ना, जिसमें लड़कियों की फौज और प्रोफेसर भी कोई अविवाहित महिला ही हो– को चुनना ही वह वजह बन गया, जिनकी वजह से ही मैंने उसे सेक्स डिपार्टमेंट का HOD बना दिया और वह इस नवसृजित पद पाकर खुश भी हो गया, लेकिन इन सबों के बावजूद पूरे कॉलेज में बेहतरीन english spoken वाला एकमात्र शख्स वह ही था !
तमाम गपशप और प्रतिबद्धताओं के बावजूद उनका एक ही सपना था ‘सेक्स यूनिवर्सिटी’ खोलने का, लेकिन पोर्न की दीवानगी में वह इस कदर डूबा कि मैंने उसे इस आदत को छोड़ने की सलाह दी, लेकिन एक छोटी सी बात यानी ‘सेक्स’ पर मेरी टिप्पणी से उन्हें इतना ज्यादा बुरा लगा कि वार्त्तालाप का यह दौर वाद-विवाद में तब्दील हो गया, तो मैं भी कहाँ चुप बैठनेवाला था ? मैं भी गुस्सा में आ गया, उसने मेरे और मैंने उनके गिरेहबान पकड़ लिया, पर बीच-बचाव करने अगर ऐन वक्त पर ‘……’ नहीं आता, तो दोनों में किसी एक का सिर फूटना ही फूटना था !