मेरा खेत
प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।
उसमें फसलें लहरातीं,
मेरे मन को बहुत लुभातीं ।
पीली सरसों- महके सरसों,
फूले अरहर- झूमे अरहर ।
चहुं ओर है छाई बहार ।।
बेहद लंबा हुआ बाजरा,
उग आये मूली- गाजर ।
लाल हुआ गोल टमाटर ।।
प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।
किसी से कम न गोभीआलू,
बहुत रुलाते प्याज- रतालू ।
कलुआ बैंगन बन बैठा राजा,
कद्दू का पीकर हो गया मोटा ।
गन्ना कभी नहीं देता टोटा ।।
बहुत महकता धनिया,
भाव खा रही मटर ।
सुध-बुध हो गई ज्वार ।।
सबको उगाता मेरा खेत ।
हरा भरा सुंदर खेत ।।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा